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Sunday, September 8, 2013

kuchh teri, fir teri कुछ तेरी, फिर तेरी



कुछ तेरी नजर बदली सी है
कुछ हमने चुप्पी भांप ली है 9.42.am

जाने क्या बात है तेरी वफ़ा में
तेरे करीब आये तूने दूरी कर ली

जाने क्या बात है तेरी नजर में
मिलाई हमसे नजर नजर बदल ली

हम तुझे कैसे क्यूँ प्रमाण-पत्र देंगे
तेरे बदलते वादों इरादों ने साक्षी दी

एक पल को दुनिया भुलाई नेह से भर दिया
फिर दुनिया की रंगीनियों ने नियत बहका दी

वफ़ा की कसमों से किया बरी थी कभी तूने ली
जा हमने तेरे परों को उड़ जाने की स्वछंदता दी
11.58 am

हम चुप चाप चले जायेंगे तेरी दुनिया से
जैसे कभी तेरी पलकों तले स्वप्न न पले थे
12.12 pm, 8/8/13

7 comments:

  1. आपके ब्लॉग का कलेवर बेहद खूबसूरत है जी । सरल सुंदर रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको । लिखती रहें

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  3. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  4. कल 16/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.