तेरी घुमक्कड़ी के चर्चे भले ही आम हों...........
वफ़ा पर मेरी, तू फिर भी ऊँगली न उठा सकेगा.
11 pm, 13/5/2013
लाख चाहूँ तो भी बेवफा तुझको कह नही सकती
क्यूंकि गर तू बेवफा हुआ तो मेरी वफ़ा कहाँ रहेगी
4.11pm
अपना अपना अंदाज है तेरा-मेरा गम भुलाने का
तू महफिलों में जाकर हँसता है, मैं तुझे देख कर
4.13pm, 15/5/2013
तेरी वफा पर नाज है तुझे
ReplyDeleteतेरी बफा राज पता है मुझे
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
जब प्रेम किया है तो वफ़ा की बात बेमानी है ...
ReplyDeleteलाजवाब शेर हैं सभी ...
लाजवाब बहुत अच्छा
ReplyDelete