मुखरित मैं मिलकर तुमसे
मुखरित मेरी संपूर्ण सृष्टि तुमसे
मुखरित धरा धानी चुनर ओढ़े हुई
मुखरित चंचल चिड़िया चहचहाईं
झंकृत हृदय हृद्गत हुआ तुमसे
झंकृत पायल प्रफुल्ल पांवों में
झंकृत झड़ी झमझमाती झड़ी
झंकृत झींगुर झांयझांय भी लगी
हर्षित मन में मनहर मधुरता
हर्षित मुख मधुसंकाश मनकरा
हर्षित झूमे तरु तटिनी तट पर
हर्षित भ्रमर भौंराए भौम्यपुष्प
पर
पल्लवित हरियाली हरे हृदयाग्नि को
पल्लवित पद्मिनी पुकारे पद्म्बंधू को
पल्लवित पुष्प पत्रों से पंथी पंथ
पल्लवित सुंदर सपने सारे संगी संग
मुखरित स्वर से सुर झंकृत
झंकृत वाणी विहसित हर्षित
हर्षित हो हृदयपुष्प पल्लवित
पल्लवित जीवन जीव मुखरित
4.01pm, 8/4/2013
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (३०-०५-२०१३) को "ब्लॉग प्रसारण-११" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteअनुप्रास अलंकार से सजी सुन्दर रचना !
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
अनुभूति : विविधा -2
अलंकारों सजित ... लाजवाब रचना ...
ReplyDeletesundar kavita,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉगपर भी आयें। पसंद आने पर शामिल होकर अपना स्नेह अवश्य दें।
मुखरित, झंकृत,हर्षित , पल्लवित,.. क्या बात है सुन्दर शब्द संयोजन !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द चयन से अलंकृत करती सुगढ़ प्रस्तुति
ReplyDeleteभावों को शब्दों में बाधने का अनुपम प्रयास. बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.
ReplyDeleteमन के भावों को चमत्कृत कर देने वाले शब्द दिये है
ReplyDeleteवाह अदभुत
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर
आग्रह है पढें,ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
sundar bhav....behatar rachna...
ReplyDeletesundar manbhavan manoram rachna
ReplyDeleteमुखरित हुआ प्यार
ReplyDeleteआलोकित हुआ मन आकाश
लो फिर लौट आया मधुमास
आल्हादित हुआ ह्रदय
पल्लव की हथेलियों पर
रच कर मेहंदी
कर रहा मौसम प्रणय का प्रसार
चाँद की परछाई चुराकर
नीरव निशा मे
लहरे कर रही हैं अभिसार
सुनकर मधुप का गुंजन
कलियों की चेतना में छाया हैं उल्लास
देह मेरी आज फिर हुई बांसुरी
सांस तुम्हारी फूंक रही मुझमे प्राण
खिल उठे उमंग के पंकज
जड़ों मे उनके
भर आया हैं रस अनुराग
चाहता मन उसके अंग अंग को कर दू
इन्द्रधनुष के सातों रंग से सरोबार
मुखरित हुआ प्यार
आलोकित हुआ मन आकाश
लो फिर लौट आया मधुमास
किशोर
भावपूर्ण शब्द .. अलंकृत प्रवाह ...
ReplyDeleteमनमोहक रचना ...
bahut sundar shabdoN ka priyog kiya hai ...bandhai swikaren
ReplyDeletebahut achchhi dhvnyaatmk rchna
ReplyDeleteशब्दों का अनुपम प्रयोग अलंकारों की अदभुत छटा.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति. बधाई.
अनुपम भावोँ को लिए हुए अति सुन्दर रचना । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteवाह ! वाऽह…! वाऽहऽऽ…!
कविता में अनुप्रास की छटा देखते ही बनती है ।
आदरणीया प्रीति स्नेह जी
बहुत ख़ूब !
आपकी हिंदी और अंग्रेज़ी कविताएं प्रभावित करती हैं...
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत खूब , सुन्दर चित्रांकन
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें