हाँ नहीं दौड़ सकती पकड़ने तितली
चढ़ नहीं सकती पहाड़ी पगडण्डी
नहीं लगा सकती मैं लम्बी छलांगें
कूदकर पकड़ न सकूँ तरु की ऊँची बाहें
पर समझ सकती हूँ तुम्हारी चाहतें
मेरी लगन दे सकती है मन को राहतें
कठिन लक्ष्यों में उमंग भरा दूँ साथ
डगमगाते क़दमों को विश्वास भरा हाथ
तुम्हारे स्नेह में होता है छल
रिश्ते तोड़ने में नहीं गंवाते पल
बता देते हो छोटी-छोटी कमी
स्वयं पर नजर न डालते कभी
हाँ है चाल तुम्हारी सबल, सक्षम
पर नहीं मिला पाते मुझसे कदम
तुम्हारे व्यंग तोड़ते हैं विश्वास
दृढ़ता मेरी भरती है विश्वास
कहो मुझसे कब रुकता है जीवन?
सोचो, तुम, कहाँ रोकते हो जीवन?
है नहीं क्या सस्नेह अपनापन?
क्या सच है मुझमें अधूरापन?
चढ़ नहीं सकती पहाड़ी पगडण्डी
नहीं लगा सकती मैं लम्बी छलांगें
कूदकर पकड़ न सकूँ तरु की ऊँची बाहें
पर समझ सकती हूँ तुम्हारी चाहतें
मेरी लगन दे सकती है मन को राहतें
कठिन लक्ष्यों में उमंग भरा दूँ साथ
डगमगाते क़दमों को विश्वास भरा हाथ
तुम्हारे स्नेह में होता है छल
रिश्ते तोड़ने में नहीं गंवाते पल
बता देते हो छोटी-छोटी कमी
स्वयं पर नजर न डालते कभी
हाँ है चाल तुम्हारी सबल, सक्षम
पर नहीं मिला पाते मुझसे कदम
तुम्हारे व्यंग तोड़ते हैं विश्वास
दृढ़ता मेरी भरती है विश्वास
कहो मुझसे कब रुकता है जीवन?
सोचो, तुम, कहाँ रोकते हो जीवन?
है नहीं क्या सस्नेह अपनापन?
क्या सच है मुझमें अधूरापन?
सुन्दर शब्द।
ReplyDeleteati sundar bahut pasand aai kavita.god bless you.
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत कविता ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुति!
ReplyDelete♥
ReplyDeleteआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
very nice post
ReplyDeleteबेहतरीन पेशकश ||
ReplyDeleteशुक्रिया ||
बहुत ही खुबसूरत कविता ....
ReplyDeleteगहरा दर्द,
ReplyDeleteगहरी पीड़ा छुपी है आपकी रचना में.
इस दौर से बाहर निकलिए.
भावपूर्ण कविता के लिए बधाई..
ReplyDeleteकहो मुझसे कब रुकता है जीवन?
ReplyDeleteसोचो, तुम, कहाँ रोकते हो जीवन?
है नहीं क्या सस्नेह अपनापन?
क्या सच है मुझमें अधूरापन?
लाजबाब प्रस्तुति है आपकी.
अधूरापन पर आपके भाव विलक्षण हैं.
अनुपम अहसास कराते है.
गहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब
ReplyDeleteकुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 20 दिनों से ब्लॉग से दूर था
देरी से पहुच पाया हूँ
Bahunt hi gahan abhivyakti.. Aaabhar
ReplyDeleteVishesh aabhar mere blog par apne bahumulya comments ke liye..
Fir aaiyega..
Dipawali ki thodi der se Hardik badhai....