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Saturday, July 5, 2008

बिरहा

घने तरुवर की छाया
उनके रुप-रंग की माया
ये सूरज का उगना
वो चाँद का ढलना

वो खोए खोए नैन
दिल बिरहा बेचैन
ये नदिया का किनारा
वो मौजों का सहारा

ओंठों पर प्रेमगीत
छाए हुए हैं जिनमें मीत
ये सूनी नाव की ठौर
वो खड़ा पर्वत कठोर

पाँवों में पायल की सरगम
आँखें उसकी यादें से नम
ये क्यारी में मुस्काते फूल
वो मेघ उमड़कर बरसाते शूल

चहचहाते पंछी लौटते घौंसलों में
सुलगने लगी मेहंदी अब हाथों में
ये मुस्काते चाँद की झुलसाती चाँदनी
वो जाते सूरज की रुलाती रोशनी

2 comments:

  1. Beautiful poetry... simple raw and straight from the heart.. Love has many names.. the most common one is Pain. Liked it..

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  2. पाँवों में पायल की सरगम
    आँखें उसकी यादें से नम
    ये क्यारी में मुस्काते फूल
    वो मेघ उमड़कर बरसाते शूल ..bahut sundar likha hai ,...prakriti ka sukshm chitrn waah ,,priti ji badhaaii ..shubh kamna

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