हमने जाग जाग कर बितायी थी जिंदगी ये
जाने कब तुझमें सिमटकर नींद आ गई मुझे
ऐसी नींद थी कि अब न जागे ना सोये हैं
अपनी जिंदगी जग की आँखों से देखते हैं
12.44pm, 26 aug, 14
ना वादा करते हैं, ना कसम खाते हैं
हम जैसे तो बिन कसमों के निभाते हैं
2.36pm, 26 aug, 14
लोग क्या जाने दर्द कितना छुपा है सीने में
हमें हँसता देखकर अपने भी आ गए धोखे में
3.40pm, 26 aug, 14
मेरा बनना संवरना क्या गजब ढा गया
आईना मुझसे कहने लगा देखा है तुम्हे
4.18pm, 26 aug, 14
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कि मैं झूठ बोलिया
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कि मैं झूठ बोलिया
कल 29/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
सुंदर .....
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