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Saturday, November 3, 2012

मेरे तुम mere tum


मेहँदी  में  रचे  हो  तुम
नयनों  में  बसे  हो  तुम
तन  का  हो  श्रृंगार  तुम
मेरे  मन  का  आधार  तुम

तुमसे  ही  मेरा  घर-द्वार
ये  तेरी  बाहें  मेरा  संसार
अधरों  की  मुस्कान  के  आधार
प्रियवर  अब  लौट  आओ  इस  पार

लटें  लहरा  तुम्हे  पुकारें
नैन  कहें  आओ  कि  निहारें
सांवरे  आओ  सपने  संवारे
आँगन  में  उतर  आये  बहारें

5.10pm, 2 Nov 2012

4 comments:

  1. वाह: बहुत सुन्दर.. करवा चौथ की शुभकामनाएं ..

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  2. THE WAY OF ILLUSTRATION IS VERY NICE

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  3. मेहँदी में रचे हो तुम
    नयनों में बसे हो तुम
    तन का हो श्रृंगार तुम
    मेरे मन का आधार तुम..aapki yah rachna mujhe bahut pasand aayi

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  4. सांवरे ! आओ सपने संवारे
    आँगन में उतर आये बहारें

    बहुत सुंदर भाव !
    आदरणीया प्रीति स्नेह जी

    आपका रचना-संसार अलौकिक है …

    आनंद का प्रसाद बांटते रहिए अनवरत …

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