जो मैं
कहूँ तुमसे सवेरा नहीं हुआ
क्या तुम अवि सम प्रकाश भर दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे चाँद मेरे नभ में न छाया
क्या तुम अपनी शब्द -चाँदनी मेरे आँगन कर दोगे
जो मैं कहूँ ये बदल बरसकर भी ना बरसे हैं
क्या तुम मेरे तप्त हृदय में स्नेह -वृष्टि करोगे
जो मैं कहूँ तुमसे आंसू में डूब रही है जीवन -नैया
क्या तुम क्या तुम खिवैया बन मुझे पार लगा दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे टूट रही मेरी आस पल -पल
क्या तुम आशा का दीपक मेरे लिए जला दोगे
जो मैं कहूँ सपने मेरे बिखेर गए हैं
क्या तुम अपने स्वप्न मेरे नैनों में भर दोगे
जो मैं कहूँ मेरे पैरों में न रहा कोई बल
क्या तुम अपनी मंजिल का पता दे गति दोगे
जो मैं कहूँ कलुषित हो गई मेरी आत्मा
क्या तुम अपनी भक्ति के जल से धो दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे स्वच्छ न रह पाई हूँ मैं
क्या तुम स्पर्श कर लोहे को कुंदन बना दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे हारने लगी हूँ जीवन से
क्या तुम मेरा जीवन बन मुझे विजयी कर दोगे
जो मैं कहूँ जग के तमाम नियम, पाश खोल चले आओ
क्या तुम मेरे सानिध्य सदा के लिए मेरा बनकर आओगे
क्या तुम अवि सम प्रकाश भर दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे चाँद मेरे नभ में न छाया
क्या तुम अपनी शब्द -चाँदनी मेरे आँगन कर दोगे
जो मैं कहूँ ये बदल बरसकर भी ना बरसे हैं
क्या तुम मेरे तप्त हृदय में स्नेह -वृष्टि करोगे
जो मैं कहूँ तुमसे आंसू में डूब रही है जीवन -नैया
क्या तुम क्या तुम खिवैया बन मुझे पार लगा दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे टूट रही मेरी आस पल -पल
क्या तुम आशा का दीपक मेरे लिए जला दोगे
जो मैं कहूँ सपने मेरे बिखेर गए हैं
क्या तुम अपने स्वप्न मेरे नैनों में भर दोगे
जो मैं कहूँ मेरे पैरों में न रहा कोई बल
क्या तुम अपनी मंजिल का पता दे गति दोगे
जो मैं कहूँ कलुषित हो गई मेरी आत्मा
क्या तुम अपनी भक्ति के जल से धो दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे स्वच्छ न रह पाई हूँ मैं
क्या तुम स्पर्श कर लोहे को कुंदन बना दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे हारने लगी हूँ जीवन से
क्या तुम मेरा जीवन बन मुझे विजयी कर दोगे
जो मैं कहूँ जग के तमाम नियम, पाश खोल चले आओ
क्या तुम मेरे सानिध्य सदा के लिए मेरा बनकर आओगे
10.22am, 15/5/2012
You Are A Terrific Writer. I Have No Words Sarkaar Really You Are Awesome.
ReplyDeleteसुंदर विलक्षण रचना है आप की तुम कहो !!
ReplyDeleteजो मैं कहूँ तुमसे स्वच्छ न रह पाई हूँ मैं
ReplyDeleteक्या तुम स्पर्श कर लोहे को कुंदन बना दोगे
BAHUT KHUB