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Thursday, April 19, 2012

बीता कल, आने वाला कल



जिस  कमी  ने  अतीत  में  दूरी  कर दी 
उसी  के  आधिक्य  से  फिर  दूरी  कर  दोगे?
वो  सपना  जो  बिखर  गया, कैसी  बेबसी  थी 
आज  मुद्रा  के   दंभ  में  वही  कहानी  दोहरा  दोगे?

वो  पत्र  जिन्हें  एकाकी  होने  पर  तब  नष्ट  किये 
वैसे  ही  अब  के  लेख  अंधियारे  में  बैठ  मिटाओगे?
पुराने  घावों  की  टीसों  ने  कितने  दिवस  काले  किये 
ये  दर्द  देकर  जो  पाओगे  जीवन  फिर  वैसे  बिताओगे ?

उन  हाथों  की  हिना  में  रच  गया  कोई  दूजा  नाम 
अब  भी  हथेलियों  की  लाली  में  दूसरा  नाम  सजने  दोगे?
गए  उस  वक़्त  ने,  ठोकरों  से  घबरा,  लिया  मुड़ने  का  नाम 
ये  घड़ी  जो  बीती, बहते  नीर  भांति,  सदा  के  लिए  गवां  दोगे?
2.19pm, 16/4/2012


14 comments:

  1. भावुक कर देने वाली मर्म स्पर्शी रचना।


    सादर

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  2. sorry maine galti se aapke nam ki jagah yashvant likh diya

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. Dr. sandhya tiwari koi baat nhi ho jata hai, aapke sneh ke liye abhaar.

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  5. मन को छू लेने वीली कृति
    प्रीत बनाए रखना
    यशोदा

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  6. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार ||

    शुभकामनाये ||

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  7. SUNDAR BHAV KE SATH SUNDAR ABHIVAYAKTI

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  8. sundar bhav bheeni see abhivyakti|

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  9. Great to see and read your awesome colection!!! Keep it up...We are proud of you :)

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  10. बहुत सुंदर....

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  11. उन हाथों की हिना में रच गया कोई दूजा नाम
    अब भी हथेलियों की लाली में दूसरा नाम सजने दोगे?

    uhapoh ki manh sthiti ka shabdik chitran bahut achchhe se kiya hai aapne waah ..

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