जिस कमी ने अतीत में दूरी कर दी
उसी के आधिक्य से फिर दूरी कर दोगे?
वो सपना जो बिखर गया, कैसी बेबसी थी
आज मुद्रा के दंभ में वही कहानी दोहरा दोगे?
वो पत्र जिन्हें एकाकी होने पर तब नष्ट किये
वैसे ही अब के लेख अंधियारे में बैठ मिटाओगे?
पुराने घावों की टीसों ने कितने दिवस काले किये
ये दर्द देकर जो पाओगे जीवन फिर वैसे बिताओगे ?
उन हाथों की हिना में रच गया कोई दूजा नाम
अब भी हथेलियों की लाली में दूसरा नाम सजने दोगे?
गए उस वक़्त ने, ठोकरों से घबरा, लिया मुड़ने का नाम
ये घड़ी जो बीती, बहते नीर भांति, सदा के लिए गवां दोगे?
2.19pm, 16/4/2012
भावुक कर देने वाली मर्म स्पर्शी रचना।
ReplyDeleteसादर
bahut sundar bhav yashvant ji
ReplyDeletesorry maine galti se aapke nam ki jagah yashvant likh diya
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ReplyDeleteDr. sandhya tiwari koi baat nhi ho jata hai, aapke sneh ke liye abhaar.
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeletesunder bhav............
ReplyDeleteमन को छू लेने वीली कृति
ReplyDeleteप्रीत बनाए रखना
यशोदा
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
शुभकामनाये ||
SUNDAR BHAV KE SATH SUNDAR ABHIVAYAKTI
ReplyDeletesundar bhav bheeni see abhivyakti|
ReplyDeleteGreat to see and read your awesome colection!!! Keep it up...We are proud of you :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर....
ReplyDeleteउन हाथों की हिना में रच गया कोई दूजा नाम
ReplyDeleteअब भी हथेलियों की लाली में दूसरा नाम सजने दोगे?
uhapoh ki manh sthiti ka shabdik chitran bahut achchhe se kiya hai aapne waah ..