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Monday, April 9, 2012

मैं तेरी प्रतिबिम्ब


मैं तेरी प्रतिबिम्ब हूँ
अपनी छवि निहार ले
मेरी मुस्कान है कहती
जीवन तुम ही तो लाये

बोलती नुपुर की रुनझुन

गति तुझसे क़दमों में
चूड़ी की खनक से, मानो,
बाहें सबल तेरे बल से

उड़ते गेसू लहरा-लहरा

उड़ान भरी तुमसे दिल ने
झिलमिलाते नैन सुनो कहें
सपने भरे रंगीन तुमने

रंगों से भरी जो मैं

वो हैं रंग भरे तुमने
दर्पण कहे, हो अच्छे तुम
वही अच्छाई झलके मुझमें


1.28am, 7 april 2012

11 comments:

  1. उड़ते गेसू लहरा-लहरा
    उड़ान भरी तुमसे दिल ने
    झिलमिलाते नैन सुनो कहें
    सपने भरे रंगीन तुमने

    बहुत ही खूबसूरत लिखीं हैं आप!

    सादर

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  2. दर्पण कहे, हो अच्छे तुम
    वही अच्छाई झलके मुझमें........
    शानदार अभिव्यक्ति.....
    उत्कृष्ट रचना

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  3. रंगों से भरी जो मैं
    वो हैं रंग भरे तुमने
    दर्पण कहे, हो अच्छे तुम
    वही अच्छाई झलके मुझमें
    ...bahut khoob! Darpan jhoot n bole..
    bahut sundar rachna

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  4. कल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. बहुत खूबसूरती से शब्दों में ढाली गयी रचना |
    आशा

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  6. रंगों से भरी जो मैं
    वो हैं रंग भरे तुमने..SUNDAR

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.