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Monday, April 4, 2011

सूनी सगरी नगरी है




तुम चले तो गए
क्या पीछे छोड़ गए
क्या कभी ना सोचा होगा
दिल, ना जाना होगा?

वो फूल जो खिला तुमसे

वो चेहरा जो दमका तुमसे
वो मचलते दमकते तारे
तुम बिन खोये सारे

गगन है अब गहरा नीला

है धरा का आँचल गीला
शैल है छुपाये जल
प्रीत के खोये पल

सुबह अब भी होती है

रात लालिमा खोती है
पर सूनी सगरी नगरी है
और जीवन खाली गगरी है

10:19 pm, 3/12/2010
(English Translation-http://prritiy.blogspot.com/2011/04/you-went-missing.html)

2 comments:

  1. अद्भुत.. !

    आपके रचना संसार .... के लिये शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब

    ReplyDelete

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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.