ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Thursday, May 8, 2014

pyar kaise kiya hai jata? प्यार कैसे किया है जाता ?



है ये सच, प्यार माँगा नही है जाता
हो जाये, बीच राह छोड़ा नही है जाता

रूठे को हर तरह से मनाया है जाता
झुकने में उसके आगे अहं नही है आता

रिश्ते को खोना ये भाव उद्वेलित है करता
मिलने की हर चेष्टा ये मेरा आत्म है करता

इसी क्रम में नादानी में त्रुटियाँ भी है करता
उससे वियोग ये कल्पना हृदय का चैन है हरता

कैसे मेरे भीतर तुम्हारा संवेदन समाया है जाता
कैसा ये सम्मोहन दूर पल भर रहा नही है जाता

सच कहा नहीं जानती प्यार कैसे किया है जाता
जानती तो बस जग में तुम बिन कुछ नही है भाता

तुम्हरे लिए जग छोड़ दूँ इससे नही जी है डरता
तुम्हारी नजरों से उत्तर जाऊं इससे हरपल है डरता

तुम पर मेरा विश्वास मन का हर संशय है हरता
तुम्हारा साथ ही मेरे जीवन में मुस्कान है भरता

4.22 pm, 7 may, 14

2 comments:

  1. अति सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    आभार

    ReplyDelete

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.