ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Sunday, April 22, 2012

आँखें वीरान


मेरी आँखों में क्या देखते हो, दूर तक सन्नाटा है
यहाँ तूफानों की आवाज भी कबसे खामोश हो गयी है
12.39pm,20/4/2012

मेरी नजरों को गौर से  न देख हैरानी होगी
नजरों की भीतर से झांकती वीरानी ही होगी
हम  मुस्कुराते  तो  हैं, पर  मेरे  होठों  को  ही  देखना 
बोलती  आँखें  तुम्हारी  मुस्कान  में  नमी  न  दे  जाये 

2 comments:

  1. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें /

    ReplyDelete

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.