आपने इस रचना को पढ़ा था  
http://prritiy.blogspot.com/2010/05/blog-post_6224.html
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एक मित्र के अनुरोध पर इसके  पुरुष  रूप  का  प्रयास------- >
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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.