ना तुम्हे वक़्त होगा,
ना हमें फुर्सत
जिन्दगानियां यूँ तो बसर होंगी
पर खालीपन से तरसेंगी
बिजली वहां भी कौन्धेगी,
मेघ यहाँ भी गरजेंगे
यादों से भरी पलकें होंगी
पर बूँदें ना बरसेंगी
न गर्जन, न कम्पन,
न पंखुड़ियों की खिलखिलाहट
शब्दों का नर्तन तो होगा
पर सन्नाटे न फुस्फुसायेंगे
ना तुम बुलाओगे,
ना हम पुकारेंगे
जिंदगी चली तो चलेगी
पर वीराने न जगमगायेंगे
1:38p.m., 20 dec,09ना हमें फुर्सत
जिन्दगानियां यूँ तो बसर होंगी
पर खालीपन से तरसेंगी
बिजली वहां भी कौन्धेगी,
मेघ यहाँ भी गरजेंगे
यादों से भरी पलकें होंगी
पर बूँदें ना बरसेंगी
न गर्जन, न कम्पन,
न पंखुड़ियों की खिलखिलाहट
शब्दों का नर्तन तो होगा
पर सन्नाटे न फुस्फुसायेंगे
ना तुम बुलाओगे,
ना हम पुकारेंगे
जिंदगी चली तो चलेगी
पर वीराने न जगमगायेंगे
chhoti par gehri si kavita hai.. kuchh gila gila sa hai ismein..
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