तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ
कोई गीत लिखूं या नैनों से नीर बहाऊँ
थी लबों पर सजी हँसी कैसे बुलाऊँ
खोई नैनों की चमक कैसे दीप जलाऊँ
ठहरी हुई चाल कैसे बाँकपन लाऊँ
तुम्हें बाहों में भरकर सहलाऊँ
या पलकें खोल हौले से समझाऊँ
हाथों में हाथ ले दौड़ी जाऊँ
या बिन कहे मुस्कान से कह जाऊँ
तुम्हारे इशारे बिन कैसे आस लगाऊँ
मैं हूँ तुम्हारी या अब पराई कहलाऊँ
हूँ सामने कबसे गुहार लगाऊँ
तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ
so sweet......khubsurat bas khubsurat
ReplyDeletesudnr bhav rachna ke!
ReplyDeleteतुम्हारे इशारे बिन कैसे आस लगाऊँ
ReplyDeleteमैं हूँ तुम्हारी या अब पराई कहलाऊँ
हूँ सामने कबसे गुहार लगाऊँ
तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ ...hriday ke prem bhavo ki abhivykti ..sundar