जन्मदिन की अग्रिम बधाई’
कहा योगी ने,
कहीं जाना है
देरी हो जाएगी
शायद बात न हो पाए....
योगी
पगली हूँ!
पगली ही समझते हो...
जाना तो
सवेरे है
वो भी
मुँह अँधेरे नहीं
अभी तो
निशा
सँवर रही है...
चली
सकुचाती निशा
यौवन छाया
ना अभी था
दूजा दिन आया
थे
कोई ११ मिनट
शेष
जब
योगी ने
पुनः
कहा
खुश रहना
शांतचित
आनंद मनाना…
बीते वो
रुके हुए पल
बीत गई
रैना
पलकों में
पर
योगी...
शांति...
दुपहरिया की
बेला में
सुनी
वो
मधुर वाणी
चातक
को
मिली
ओस बूँद ...
फिर दे दी
उनके
‘हिस्से की हवा’...
अश्रु बहे
हाँ
जन्म पर
भी बहे थे
तो
आज क्यूँकर ना…
खुश रहना
ओ पगली!
खुश रहना
पर
नहीं
आज नहीं
आज नहीं
उपक्रम कर पाई
रही मौन
ओ योगी
न
कहा कुछ,
पर
हँस
भी
न
पाई
बस
मौन ही
ली
‘जन्मदिन की बधाई’
11:30p.m., 15/5/10
aap ki kavitaon me ek khas baat hai wo ye ke aap shabdon ka chayan bahut achha karti hain magar aap mera urdu blog par hain hindi par nahi
ReplyDeletemere link ye hain
http://aadil-rasheed-hindi.blogspot.com/