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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Tuesday, December 31, 2013

koi pagli कोई पगली


वो  जिसे  मैंने  चाँद  समझा,  चाँद छाया  मात्र  थी
परछाई  पड़ी  मुझपर,  नही  मिलन  की  बात  सखी

4.26pm, 31dec, 13

अब  कोई  तुम्हारा  लिखा  ना  बांचेगी
​​अब  कोई  तुमसे मीठी  बातें  ना  करेगी
अब  कोई  तुमसे  अनगिनत  सवाल  न  पूछेगी
​अब  कोई  तुम्हारे  कानों  में  सिसकी  ना  भरेगी  ​

​अब  कोई  रातों  को  ना  पुकारेगी
​अब  कोई  खिली  धूप  में  ना  दुलारेगी ​
​अब  कोई  वादों  की  याद  ना  दिलाएगी
अब  कोई  ना  तुम्हारी  यादों  से  झगड़ेगी

​अब  कोई  गीत  ना  गुनगुनायेगी
​अब  कोई  ना  रूठेगी,  ना  मनाएगी ​
​अब  कोई  आँखों  से  नेह  ना  बरसायेगी
​अब  कोई  तुम्हारा  नाम  ले  ना  पुकारेगी

​अब  कोई  नेह  भरी  उलाहना  न  देगी
​अब  कोई  शब्दों  से  तुम्हे  ना  छुएगी
अब  कोई  तुम्हे  हँसके  ना  बुलाएगी
​अब  कोई  पगली  सामने  ना  आएगी 

1.30am, 20/12/13

Monday, December 30, 2013

mohabat se dur मोहब्बत से दूर

 
हमारी आँखें नम रहने लगी हैं बहुत
दिल की सीलन से सुगंध न मर जाये

10.37pm

कांपते होंठों पर लो फिर हंसी सजा ली हमने
कागज के फूल ही सही महफ़िल सज जायेगी

10.50 pn

हमने मोहब्बत से दूर आशियाँ बनाया है
रौशनी, खुश्बू को उसका पता नही बताया है

11.01pm, 21/11/13

Saturday, December 28, 2013

test आजमाइश

test the depth of my feelings my love
when trail finished to your satisfaction
my hurt soul would have left its abode

6.20 pm


तू आजमाले मुझे मोहब्बत के नाम पे
जब ख़त्म होगी तेरी आजमाइश, सुन होगा ये
ख़त्म इस रूह की तड़प होगी.. जुदा हो मुझ से

3.30 pm, 18 dec, 13

Wednesday, December 18, 2013

ye pagalpan ये पागलपन

एक बार तुझसे मिलकर जिंदगी से मुह मोड़ लूँ
ये जिंदगी बन गई है बस अब एक ख्वाब
भरमाता सा, इक अधूरा सा, रुलाता सा ख्वाब
हाँ मैं पगली तो हूँ ये मानती आई हूँ
अब ये पागलपन हद से गुजरे तो रुखसत ले लूँ.....

2.47pm, 18 dec, 13

dil दिल

दिल का रिश्ता बड़ी बेदर्दी से तोड़ते हैं...
हम भी बड़ी बेदिली से होंठ ये खोलते हैं ... 
कभी वहाँ जाने को यहाँ से मुँह मोड़ते हैं... 
2.37pm, 18 dec, 13


Monday, December 16, 2013

bas shradhanjali बस श्रद्धांजलि

सबने आज फिर याद किया एक बेबस को
बस दे दी मौखिक श्रद्धांजलि दी लाचारी को
एक दिन बस याद कर लेना, हो गई इतिश्री
ऐसे ही हर घर से रूठ चली जायेगी कान्ति, श्री

रोज कितनी दामिनियों की चमक लूटी जाती हैं
मौन खड़े रहते या इधर-उधर बचके नजर चुराते हैं
साल भर अगर करें जरा सा निर्वाह जिम्मेदारी का
न झुके सर बारम्बार चहुँ ओर बेबस हो मानवता का
@Prritiy
9.53pm, 16/12/13

Sunday, December 1, 2013

mai pagli मैं पगली





पगली!  हाँ  मानती  हूँ,  हूँ  मैं  पगली
चल  पड़ी  कैसी  पागलपन  से मैं भरी   
कहते  हो  तुम  क्यूँ  है  इतना  पागलपन  बाँवरी
मैं  कैसे  जानूं  कैसे  समझूँ  मैं  तो  हूँ  बस  पगली 
क्यूँ  ऐसी  बेकरारी  ऐसी  दीवानगी  कहो  तो
मैंने  तो  जाना  नही,  क्या  तुम  जान  पाये  हो

क्यूँ  नहीं  भाते  ये  चाँद  ये  झिलमिलाते  तारे
क्यूँ  नही  लुभाते  मेरे  मन  को  ये  सारे  नज़ारे
क्यूँ  फिरुँ  सुलगती  बांवली  सी  दिन  भर 
क्यूँ  अंधेरों  में  देखूं  परछाइयाँ  मैं  रात  भर
ना जानूं   इस  राह  की  मंजिल  क्या  होगी,  कहाँ  होगी
क्या  जानूं  कब  वो  बिन  भोर  वाली  सखी  निशा  होगी
12.14am, 1 December 2013


Thursday, November 28, 2013

Thank you




Thank you my family, friends for your affection. 

Thank you to those who didn’t love me. Thank you, for treachery taught me lessons of life. 

Thank you to those who loved me.
Thank you to those who still love me. Thank you for your constant affection confirmed my belief in goodness. 

Thank you for all the beautiful, bitter-sweet memories, to All those who have been a part of my life and made it worthwhile for me.



Sunday, November 3, 2013

kaisi diwali कैसी दीवाली





तुम नहीं तो क्या दीवाली

कहाँ मिठास मिष्ठान्न में
ना स्वाद किसी पकवान में

रुचिकर लगे ना मुझे श्रृंगार
न मन भाए कोई वस्त्र विचार

गूंजते पटाखों का लगे बस शोर
उल्लास नहीं उत्सव में किसी और

क्या झिलमिलाएंगी सजायी बिजली की लड़ियाँ
क्या टिमटिमाएँगी दीपों की अवलि की बातियाँ

तुम नहीं साथ तो चुप हैं वो सारे मधुर मंगल गीत
मनाएं त्यौहार, हों खुश कैसे, तुम बिन मेरे मनमीत
11.45pm, 2 nov, 13

Thursday, October 31, 2013

warmth


icy  waves  wallop 
unsympathetic,  heart   numb 
you  bring   warmth  my  love

Friday, October 25, 2013

Na tum, na hum ना तुम, ना हम


ना तुम्हे वक़्त होगा
ना हमें फुर्सत
जिन्दगानियां यूँ तो बसर होंगी
पर खालीपन से तरसेंगी
बिजली वहां भी कौन्धेगी
मेघ यहाँ भी गरजेंगे
यादों से भरी पलकें होंगी
पर बूँदें ना बरसेंगी
न गर्जन, न कम्पन,
न पंखुड़ियों की खिलखिलाहट
शब्दों का नर्तन तो होगा
पर सन्नाटे न फुस्फुसायेंगे
ना तुम बुलाओगे
ना हम पुकारेंगे
जिंदगी चली तो चलेगी
पर वीराने न जगमगायेंगे

1.38pm, 20dec,09

Wednesday, October 16, 2013

दिल






वो खो गए
ज़माने के हो गए

जरा सी नजरें क्या फेरीं
घुल गए चाहत के निशान


वो नाजुक दिल रखते हैं
ऐ ज़माने संभाले रखना

10.53pm, 25 sept 13

Saturday, October 5, 2013

dil banjar दिल बंजर



इतना न रुलाओ ऐ हमराज
कि आँखों से आंसू सूख जायें

इतना न कुचलो कुसुम दलों को
दिल की जमी के टुकड़े बंजर हो जायें

6.16pm, 4 oct 13

Friday, October 4, 2013

palkon mein dhundh पलकों में धुंध



इंतजार में मुद्दतें गुज़ार दी
ख्याल आया हम वहीँ खड़े हैं

किनारों में नमी सी रहती थी
पलकों में आज भी धुंध भरे हैं ...

Saturday, September 14, 2013

fir, kyun..फिर, क्यूँ




क्यूँ बुने सपने मैंने तेरी पलकों तले
क्यूँ मेरे नैनों में तुम चमक बन जले
क्यूँ चाहें हो खुशियों भरी तेरी जिंदगी
क्यूँ हो जाती है तुम बिन सूनी जिंदगी

क्यूँ चाहें हो सदा तेरे होंठों पर हंसी
क्यूँ खोये तेरे बिन जीवन की ख़ुशी
क्यूँ नहीं भाती है तेरे बिना ये जिंदगी
क्यूँ लगे अब विदा ले जाये ये जिंदगी
              
2.25pm, 9sept, 13