आहा!!
सुनो
पगली झूमे है
योगी ने कहा
“चंद्रिके” आज भी है …
बस
इतना भर ही
पर
कितना कुछ
कह दिया .
मौन
मेरे होंठ
मुस्काए जाते हैं
नैनो में
चमक आई है
देखो तो
कलियाँ
खिलखिलाई हैं
आज तो
में रानी हूँ
हाँ
अपने योगी कि
दीवानी हूँ
आज ना कहूँगी
कुछ मैं ..
सुन लो
मेरे
मुस्काते होंठ
जो कहते हैं
मेरी चाल
जो कहती है
मेरे
लाल कपोल जो
कहते हैं
लहराती चुनरी
जो कहती है
हाँ
आज नहीं
व्याकुल
रैन है
हाँ
आज
पगली को
चैन है …
12:59a.m., 17/5/10
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आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.