तुम्हारे शब्द मौन, पर
मेरे कानों में गुनगुनाते हैं
स्पर्श ठहरे पवन मानिंद, पर
मुझे गर्माहट से भर जाते हैं
हैं नहीं बाहें मुझे थामे, पर
जीवन संघर्ष में साथ ही हैं
कदम नहीं चल रहे संग, पर
सह -कदम चल रहे हम साथी हैं
नयनों को है नहीं दरस, पर
नैनों में हर क्षण समायें हैं
नहीं हैं वो करीब मेरे, पर
हृदय को बसेरा बनाए हैं
translated on 2 April, 2011
read in English - http://prritiy.blogspot.com/2011/03/you-with-me.html
हैं नहीं बाहें मुझे थामे, पर
ReplyDeleteजीवन संघर्ष में साथ ही हैं
कदम नहीं चल रहे संग, पर
सह -कदम चल रहे हम साथी हैं
नयनों को है नहीं दरस, पर
नैनों में हर क्षण समायें हैं
नहीं हैं वो करीब मेरे, पर
ह्रदय को बसेरा बनाए हैं.....
बहुत ही सुंदर प्रेमपगी रचना . शुभकामना.
प्रीति जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
तुम्हारे शब्द मौन,
पर मेरे कानों में गुनगुनाते हैं
स्पर्श ठहरे पवन मानिंद,
पर मुझे गर्माहट से भर जाते हैं
बहुत सुंदर भावों का चित्रण है !
प्रेम की सरस शिष्ट अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद !
बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …
* श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Appreaciate for the work you have put into this article, this helps clear up some questions I had.
ReplyDeleteमनोरम स्नेहासिक्त भावनाओं में भीगी प्रेम रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteआपके ब्लौग के बारे में आज ही पता चला. आपकी अंग्रेजी कवितायेँ भी मधुर हैं.
प्रेम की बहुत ही सुंदरगी रचना ********बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं
ReplyDeleteनहीं हैं वो करीब मेरे, पर
ReplyDeleteह्रदय को बसेरा बनाए हैं
बहुत सुंदर प्रीति
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteआदरणीय प्रीति जी
ReplyDeleteनमस्कार !
तुम्हारे शब्द मौन, परमेरे कानों में गुनगुनाते हैंस्पर्श ठहरे
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
बहुत ही सुंदर रचना . शुभकामना.
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट बधाई |
ReplyDeleteएक हृदय ही तो है जहाँ बसेरा बनाने के लिए अति उपर्युक्त जगह है,जहाँ अपने प्रियतम की छवि और अहसास को संजो कर रखा जा सकता है.
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण व अनुपम प्रस्तुति.