फिर बदरी छायी फिर बूँदें बरसी
फिर पपीहे ने टेर लगाई पीहू पीहू
@Prritiy, 4.05 pm, 10 August, 2015
हमारे इन नैनों में सपने उन्होंने ही जगाये थे
प्रीतिपुष्प खिला कर जो बोले हम तो पराये थे
@Prritiy, 2.58 pm, 10 August, 2015
उनका प्रेम बिकता तो कैसे भी ख़रीद लेते
वो 'प्रीति' का दगाबाजों से सौदा करने चले
@Prritiy, 2.14pm, 10 August, 2015
कितना बदनाम कर दिया प्रेम को दगा देने वालों ने
दर्द की बात चले लोग कहते हैं, प्यार किया किसी से
@Prritiy, 2.00 pm, 10 August, 2015
हमने उन्हें सर माथे पर बिठाया
पर उन्हें पंक ही रास आता आया
@prritiy, 7.36 pm, 9 August, 2015
गर मेरे अपने हाथ में होता
तो वो हाथ हाथ से न जुदा होता
यूँ न देखते रहते इन लकीरों को
आह भर कि काश वो नसीब में होता
@Prritiy, 3.45pm, 9 august, 2015
उसके जाने से जीवन रूठा
या उसका आना अभिशाप था
अब क्या करूँ इस फेर में पड़कर
उजड़ी बगिया शोलों से लिपटकर
@Prritiy, 2.32 pm, 8 august, 2015
हृदय कहता सपना उसे पाकर पूरा होता
जिसके बिना मन सदा को अधूरा हो गया
@Prritiy, 12.49 pm, 8 August, 15
सुनो ये जो बूँदें बरस रही हैं मेरे नैनो से, या कालिमा लिए नभ से
दोनों कह रही एक ही बात बारम्बार हैं कि प्रीति करी तूने एक पत्थर दिल बैरी से
@Prritiy, 12.43pm, 8 August, 15
काश तूने कभी मेरी प्रीति की गहराई को जाना होता
जान जाता मुझसे अधिक तुझे प्रेम मिल ही नहीं सकता
@Prritiy, 12.35 pm, 8 August, 15
कहना आसान होता की भुला दो जख्मों को
कैसे भूल जाएं वो टीसें जो दिन रात होती हैं
@Prritiy, 10.49pm, 3 august, 2015
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बजरंगी भाईजान का सब्स्टिटूट - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
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