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Monday, December 22, 2014

pagalpan kya hota hai पागलपन ​ क्या होता है


पागलपन ​ क्या  होता  है
तुमको  मैं  बताऊँ  क्या

तुम  कह  दो  मुस्कान  चाहिए
मैं  कह  दूँ  मंजूर  है

तुम  कह  दो  जान  चाहिए
मैं  कह  दूँ  मंजूर  है

तुम  कह  दो  ईमान  चाहिए
मैं  कह  दूँ  मंजूर  है


पागलपन  क्या  बना  देती
तुमको  मैं  बताऊँ  क्या

तुम  गैरों  संग  नाचते
मैं  छुप  कर  रो  लेती  हूँ

तुम  झूठ  बन  जाते  हो
मैं  छुप  कर  रो  लेती  हूँ

तुम  मुझे  भुला  देते
मैं  छुप  कर  रो  लेती  हूँ


​पागलपन  क्या  करा  देती
तुमको  मैं  बताऊँ  क्या ​

तुमको  तितिलियों  की  चाहत
मैं  बाँहों  की  तितली  बन  जाऊं

तुमको  गैरों  की  चाहत
मैं  स्वयं  गैर  बन  जाऊं
​​
​तुमको  जख्म  देने  की  आदत
मैं  खुद  को  छलनी  कर  जाऊं ​


पागलपन  क्या  होती  है
तुमको  मैं  दिखलाऊँ  क्या

तुम  कहो  तुम्हे  दासी  चाहिए
मैं  स्वयं  को  प्रस्तुत  कर  दूँ

तुम  कहो  तुम्हे  दूरी  भाती
मैं  खुद  को  ओझल  कर  दूँ

तुम  कहो  तुम्हे  आजादी  भाती
मैं  अपनी  रूह  आसमान  कर  दूँ
1.23pm, 18 dec, 14

4 comments:

  1. प्रेम का दूसरा नाम पागलपन भी है ...
    बहुत खूब ...

    ReplyDelete
  2. .


    "तुम कहो तुम्हे आजादी भाती
    मैं अपनी रूह आसमान कर दूं"
    आदरणीया वाह वाऽह…!
    लाजवाब समर्पण भाव !!
    प्रणाम हृदय से...

    समस्त् शुभकामनाओं सहित...

    ReplyDelete

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