भूल जायेगा कुछ दिनों में जग ये
निशान मिट जायेंगे मेरे, दिमागों से
पर, हमराज, तुम्हारे मन मस्तिक्ष से
अब चाहो भी तो तुम नही भुला सकोगे
जानते हो, मैंने बेहद प्यार किया है तुमसे
वो तरु, तुमने रोपा, प्रेम-जीवन दिया जिसे
तिनके सा सही तुम्हारे लिए वो नेह सुनो मेरे
पर, तुम्हारी हृदयधारा में वो तिनका डूबेगा कैसे
तैरता रहेगा अनवरत सिंचकर 'प्रीति' के हृदयलहू से
1.50pm, 23 mar, 14