ब्लॉग में आपका स्वागत है

हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Tuesday, November 20, 2012

aaina





वो आईना दिखाने आईना बनकर मेरे सामने आये
पगली को आईने में अब कहाँ अपनी सूरत नजर आये

4.3opm, 20/11/2012

Saturday, November 3, 2012

मेरे तुम mere tum


मेहँदी  में  रचे  हो  तुम
नयनों  में  बसे  हो  तुम
तन  का  हो  श्रृंगार  तुम
मेरे  मन  का  आधार  तुम

तुमसे  ही  मेरा  घर-द्वार
ये  तेरी  बाहें  मेरा  संसार
अधरों  की  मुस्कान  के  आधार
प्रियवर  अब  लौट  आओ  इस  पार

लटें  लहरा  तुम्हे  पुकारें
नैन  कहें  आओ  कि  निहारें
सांवरे  आओ  सपने  संवारे
आँगन  में  उतर  आये  बहारें

5.10pm, 2 Nov 2012