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ब्लॉग में आपका स्वागत है
हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.
आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)
Wednesday, May 30, 2012
मैं चली जाऊं
अब मैं दूर चली जाऊं मुझसे
Wednesday, May 23, 2012
मैंने तो बस यूँ ही
तुम मुझे कोई जवाब न देना
अपने भाव शब्दों में ना ढालना
प्रश्नों के जाल में उलझे हुए हो
सच की सच्चाई से डरे हुए हो
क्या, कैसे
हुआ, सोच सब बंद है
दिल दिमाग में चल रहा द्वंद्व है
तुम स्वयं को परेशान न करना
अपने सच का सामना न करना
नेह-पंखुड़ियों
को
कसकर जब भींचे हुए हो
क्यूँ अधखुला देखने की सोच लिए हुए हो
प्रीत और स्वयं का सत्य तुम्हे ज्ञात है
जग के पाश खोलना, ना
बस
की
बात
है
मैंने तो बस यूँ ही तुमसे पूछ लिया था
आँधियों में सोच का दिया जला लिया था
12.12pm, 16/5/2012
Tuesday, May 15, 2012
You Tell
If I say dawn has not arrived
Will you light my world like the sun
If I say there is no moon in my sky
Will you give moonlight-like, your words
If I say the clouds rained, yet not
Will you shower affection on my burning heart
If I say tears are drowning my life-boat
Will you become sailor, row it over to banks
If I say my hopes have dashed down
Will you burn the lamp of hope for me
If I say my dreams have scattered
Will you fill your dreams in my eyes
If I say I lost the strength in my legs
Will you show your destination, make me walk
If I say my soul is tarnished
Will you cleanse it, devotee soul
If I say I am no longer pure
Will you touch to make this iron ‘gold’
If I say I am losing the life
Will you be my life, make me victorious
If I say open the chains, come to me
Will you come in my arms, be mine
forever
11.25am, 15 may, 2012
तुम कहो
जो मैं
कहूँ तुमसे सवेरा नहीं हुआ
क्या तुम अवि सम प्रकाश भर दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे चाँद मेरे नभ में न छाया
क्या तुम अपनी शब्द -चाँदनी मेरे आँगन कर दोगे
जो मैं कहूँ ये बदल बरसकर भी ना बरसे हैं
क्या तुम मेरे तप्त हृदय में स्नेह -वृष्टि करोगे
जो मैं कहूँ तुमसे आंसू में डूब रही है जीवन -नैया
क्या तुम क्या तुम खिवैया बन मुझे पार लगा दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे टूट रही मेरी आस पल -पल
क्या तुम आशा का दीपक मेरे लिए जला दोगे
जो मैं कहूँ सपने मेरे बिखेर गए हैं
क्या तुम अपने स्वप्न मेरे नैनों में भर दोगे
जो मैं कहूँ मेरे पैरों में न रहा कोई बल
क्या तुम अपनी मंजिल का पता दे गति दोगे
जो मैं कहूँ कलुषित हो गई मेरी आत्मा
क्या तुम अपनी भक्ति के जल से धो दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे स्वच्छ न रह पाई हूँ मैं
क्या तुम स्पर्श कर लोहे को कुंदन बना दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे हारने लगी हूँ जीवन से
क्या तुम मेरा जीवन बन मुझे विजयी कर दोगे
जो मैं कहूँ जग के तमाम नियम, पाश खोल चले आओ
क्या तुम मेरे सानिध्य सदा के लिए मेरा बनकर आओगे
क्या तुम अवि सम प्रकाश भर दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे चाँद मेरे नभ में न छाया
क्या तुम अपनी शब्द -चाँदनी मेरे आँगन कर दोगे
जो मैं कहूँ ये बदल बरसकर भी ना बरसे हैं
क्या तुम मेरे तप्त हृदय में स्नेह -वृष्टि करोगे
जो मैं कहूँ तुमसे आंसू में डूब रही है जीवन -नैया
क्या तुम क्या तुम खिवैया बन मुझे पार लगा दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे टूट रही मेरी आस पल -पल
क्या तुम आशा का दीपक मेरे लिए जला दोगे
जो मैं कहूँ सपने मेरे बिखेर गए हैं
क्या तुम अपने स्वप्न मेरे नैनों में भर दोगे
जो मैं कहूँ मेरे पैरों में न रहा कोई बल
क्या तुम अपनी मंजिल का पता दे गति दोगे
जो मैं कहूँ कलुषित हो गई मेरी आत्मा
क्या तुम अपनी भक्ति के जल से धो दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे स्वच्छ न रह पाई हूँ मैं
क्या तुम स्पर्श कर लोहे को कुंदन बना दोगे
जो मैं कहूँ तुमसे हारने लगी हूँ जीवन से
क्या तुम मेरा जीवन बन मुझे विजयी कर दोगे
जो मैं कहूँ जग के तमाम नियम, पाश खोल चले आओ
क्या तुम मेरे सानिध्य सदा के लिए मेरा बनकर आओगे
10.22am, 15/5/2012
Friday, May 4, 2012
Sheets still Blank
with various colors
on colorful sheets
with brighteners
full of eye treats
showed my caring
tried never to hurt
words of longing
poured out my heart
loneliness, i bore
life, just waiting
rebukes galore
smiles, kept waiting
shapes disfigured
not understood, light
words uncolored
sheets blank, white
1.18am, 4/5/2012
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