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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

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Sunday, April 22, 2012

आँखें वीरान


मेरी आँखों में क्या देखते हो, दूर तक सन्नाटा है
यहाँ तूफानों की आवाज भी कबसे खामोश हो गयी है
12.39pm,20/4/2012

मेरी नजरों को गौर से  न देख हैरानी होगी
नजरों की भीतर से झांकती वीरानी ही होगी
हम  मुस्कुराते  तो  हैं, पर  मेरे  होठों  को  ही  देखना 
बोलती  आँखें  तुम्हारी  मुस्कान  में  नमी  न  दे  जाये 

Thursday, April 19, 2012

बीता कल, आने वाला कल



जिस  कमी  ने  अतीत  में  दूरी  कर दी 
उसी  के  आधिक्य  से  फिर  दूरी  कर  दोगे?
वो  सपना  जो  बिखर  गया, कैसी  बेबसी  थी 
आज  मुद्रा  के   दंभ  में  वही  कहानी  दोहरा  दोगे?

वो  पत्र  जिन्हें  एकाकी  होने  पर  तब  नष्ट  किये 
वैसे  ही  अब  के  लेख  अंधियारे  में  बैठ  मिटाओगे?
पुराने  घावों  की  टीसों  ने  कितने  दिवस  काले  किये 
ये  दर्द  देकर  जो  पाओगे  जीवन  फिर  वैसे  बिताओगे ?

उन  हाथों  की  हिना  में  रच  गया  कोई  दूजा  नाम 
अब  भी  हथेलियों  की  लाली  में  दूसरा  नाम  सजने  दोगे?
गए  उस  वक़्त  ने,  ठोकरों  से  घबरा,  लिया  मुड़ने  का  नाम 
ये  घड़ी  जो  बीती, बहते  नीर  भांति,  सदा  के  लिए  गवां  दोगे?
2.19pm, 16/4/2012


Monday, April 9, 2012

मैं तेरी प्रतिबिम्ब


मैं तेरी प्रतिबिम्ब हूँ
अपनी छवि निहार ले
मेरी मुस्कान है कहती
जीवन तुम ही तो लाये

बोलती नुपुर की रुनझुन

गति तुझसे क़दमों में
चूड़ी की खनक से, मानो,
बाहें सबल तेरे बल से

उड़ते गेसू लहरा-लहरा

उड़ान भरी तुमसे दिल ने
झिलमिलाते नैन सुनो कहें
सपने भरे रंगीन तुमने

रंगों से भरी जो मैं

वो हैं रंग भरे तुमने
दर्पण कहे, हो अच्छे तुम
वही अच्छाई झलके मुझमें


1.28am, 7 april 2012