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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Friday, October 10, 2014

Kuchh likha कुछ लिखा


तुमने पूछा था एक दिन
कहो मुझ पर कुछ लिखा
क्या लिखूं तुमपर मैं
देखो आज बातों में हो


विचरती हूँ यहाँ वहाँ
मन उपवन में, सेहरा में
नितांत अकेली भ्रमण करती
पर संग मेरे तुम भी हो


रात्रि में नभ के तारों से
तुम्हारे शब्दचित्र दमकते
दिवस में कुमुददलों की ले
सुगंध, मानसपटल पर छाये हो


नहीं साथी मेरे हो, हो कहते
क्यों साथ मुझे, तुम्हे भाये
दूरी कितनी, दिखे ना, न समझ आये
पर, मैं तुम्हारी, तुम मेरी सोच में हो

11.15pm, 19 sept, 14

Wednesday, October 1, 2014

jindagi जिंदगी



जिंदगी  आ  फिर  तुझे  सँवार  लूँ
उलझी  इन  राहों  को  सुलझा  दूँ
लड़खड़ाते  पैरों  को  मैं  सँभाल  लूँ
बोझिल  साँसों  में  अब  स्फूर्ति  भर  दूँ

विपरीत  परिस्थिति  में  तप  कुंदन  बनी
कठिन  डगर  में  गिर  कर  फिर  सम्भली
अश्रु  अपने  स्वयं  पोंछने  की  कोशिश  करी
करके  प्रयत्न  होंठों  पर  सबके  मुस्कान  भरी

चल  चलें  अब  कर  दृढ़  इच्छा-शक्ति
करें  मिलकर  सबके  साथ  हम  उन्नति
हो  कैसा  भी  मार्ग,  कैसी  भी  परिस्थिति
नियंत्रित  कर  लेंगे  हम  बिगड़ी  हर  स्थिति
2.59pm, 1st Oct, 14