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हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है.

आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं .... You are my strength, inspiration :)

Thursday, May 29, 2014

kuchh bikhre-bikhre..... ham.....


तनहा हैं हम, अपना दर्द अब किसको सुनाएं
आईने में भीगी पलकों से सूरत भी नही दिखती
11.58am, 2 feb 14

देखा तुमने आज मेरी हालत ये है कि
लोगों से खुशियां की दुआ भी नहीं लेती
तुम्हारे बिन मेरे लिए खुशियां किस काम की
10.12pm, 11 may, 14

दुआएं भी अब देखो कम पड़ रही हैं
मेरी खता मेरी मोहब्बत से बड़ी हो गई
11:59am, 12 may, 14

बहुत बुरा होता है सफर
जब तुम्हारे शब्द
मेरे साथ नही होते
5.13am, 21 may, 14

मेरी पलकों में जो ये आंसू ठहरे हैं
कभी तेरे प्यार की ख़ुशी के हुआ करते थे
आज क्यों ये इतने दर्द की गहराई में डूबे हैं
दूर हुए तो मेरी मुश्किल होगी, कहते ना थकते थे
आज इस कदर दूरी की, मेरी आहें भी ना सुनते हैं
2.22pm, 24 may, 14

है तुम्हारे लिए आसान कहना
गुजरा भूल एक नई शुरुआत करो
.
मेरे सारे पल तो वहीँ ठहर मूरत हो गए
.
उन मूरत में समाई मेरी आत्मा है
वो खंडित हुए तो आत्मा बेघर हो जाएगी
4.09pm, 24 may, 14

बुझे हैं आस के चिराग
मन ये ले चला है वैराग
लौट के आऊँ द्वार नही किये बंद
बस उसकी पुकार दे सकेगी आनंद
11.24 am, 25 may, 14

उसका जिक्र आते ही होठों पर मुस्कान आ जाती है
देखो आज भी उसका जादू मेरे सर चढ़कर बोलता है
11.11pm, 28may, 14

किसी से मोहब्बत क्या की हमने
नींद भी उनकी सपने भी उनके हो गए
जबसे ठुकराया है हमको उन्होंने
फिर नींद तो खोई, सपने भी खो गए ..
11.26pm, 28may,14

Thursday, May 15, 2014

prem ki paribhasha प्रेम की परिभाषा


मुझसे न पूछना, है क्या प्रेम की परिभाषा
इसका उदगम, इसके प्रवाह का मार्ग या दशा


मैं नही जानती इसकी गूढ़ बातों का रहस्य
ना सोचो, मुझे नही ज्ञान से कोई भी वैमनस्य


बस इतना हूँ जानती स्नेह से भरा है मन
ख़ुशी देने की चाहत में करती हूँ हर जतन


मूढ़मति मैं, कर जाती हूँ आधिक्य कई बार
स्वयं संग दूजे को पहुंचा जाती हूँ पीर अपार


बस इतना है कि सोचों में हो रहते दिन रैन
मन की दूरी नही देती है पल भर को भी चैन


बिना तेरे साथ, सारे सुख संसार के तुच्छ लगे
नेह भरे भीगे वचन सुनकर हृदय में उमंग जगे


जाने कैसा है बंधन, जो बंधी बिन डोर हूँ
कुछ सूझे न, चाहूँ न, यादों में तेरी गुम हूँ


जाने कैसा ये स्पंदन नसों में तरंगित होता है
अचंभित हूँ कि न कभी सुना ऐसा भी होता है


नही जानती इस भाव की गूढ़ता का रहस्य क्या है
है सुना मैंने लोगों से कि इसी को प्रेम कहा जाता है

3.53pm, 6 may, 14

Thursday, May 8, 2014

pyar kaise kiya hai jata? प्यार कैसे किया है जाता ?



है ये सच, प्यार माँगा नही है जाता
हो जाये, बीच राह छोड़ा नही है जाता

रूठे को हर तरह से मनाया है जाता
झुकने में उसके आगे अहं नही है आता

रिश्ते को खोना ये भाव उद्वेलित है करता
मिलने की हर चेष्टा ये मेरा आत्म है करता

इसी क्रम में नादानी में त्रुटियाँ भी है करता
उससे वियोग ये कल्पना हृदय का चैन है हरता

कैसे मेरे भीतर तुम्हारा संवेदन समाया है जाता
कैसा ये सम्मोहन दूर पल भर रहा नही है जाता

सच कहा नहीं जानती प्यार कैसे किया है जाता
जानती तो बस जग में तुम बिन कुछ नही है भाता

तुम्हरे लिए जग छोड़ दूँ इससे नही जी है डरता
तुम्हारी नजरों से उत्तर जाऊं इससे हरपल है डरता

तुम पर मेरा विश्वास मन का हर संशय है हरता
तुम्हारा साथ ही मेरे जीवन में मुस्कान है भरता

4.22 pm, 7 may, 14