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Thursday, August 30, 2012

जब हम मिलेंगे-jab ham milenge

ये  ख़ामोशी  से  क्या  कह  दिया  तुमने
वो  गुल  मुस्काए  सुन  तेरी  बगिया  में (1.17pm)

सोचती  हूँ  मैं   ये, सोचती  हूँ  तुम्हे  जब  भी
क्या  मेरे  आँगन  में  आती  है, तुम्हारी  सोच  भी 
क्या  सोच  ही  तुम्हारी  मेरी  राहें  रहेंगी  सदा 
क्या  तुम  भी  सुन  लेते  हो  वो  मेरी  चुप  सी  सदा

यकीं  है  जिंदगी  के  मोड़  पर  हम  मिलेंगे  तुमसे  अक्सर
कैसे  होंगे  वो  पल  नमी  लिए  या  मुस्कान  लिए  सोचूं  पर
मिलेंगे  हम  अजनबी  से  या  होगा  दो  स्नेह  भरे  दिलों  का  सामना
गुजरे  लम्हों  की  होंगी  बातें  या  उस  आज  से  हमारा  तुम्हारा  होगा  सामना
12.01pm, 30/8/2012